सरकार ने हज सब्सिडी खत्म कर दी है. काफी पहले खत्म हो जानी चाहिए थी. इसके साथ ही मुसलमानों पर सरकारी एहसान भी खत्म हुआ. अब दक्षिणपंथी संगठन और राजनीतिक दल हज में मुस्लिम तुष्टिकरण के ताने भी नहीं दे पाएंगे. किसी भी धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक देश में धार्मिक यात्रा कराना सरकार का काम नहीं होना चाहिए. मुस्लिम मान्यता के मुताबिक भी हज उसके ऊपर ही वाजिब है, जो अपनी दुनियावी जिम्मेदारियों से फारिग हों और जो हज पर जाने की क्षमता रखते हों.
हज की सब्सिडी का खेल समझना बहुत जरूरी है. इस साल 1,75,000 लोग हिंदुस्तान से हज करने के लिए सऊदी अरब जाएंगे. उन्हें सिर्फ एयर इंडिया ही ले जा सकती है. इसके लिए हाजियों से करीब 8 महीने पहले पैसा जमा करा लिया जाता है. अगर इसका ग्लोबल टेंडर हो और एयरलाइंस को पौने दो लाख मुसाफिर देने की गारंटी हो तो दुनिया की तमाम एयरलाइंस एयर इंडिया से बहुत कम पैसे में हज पर ले जाएंगी. अगर अगर किसी इंटरनेशनल टूर ऑपरेटर को पौने दो लाख मुसाफिर दिए जाएं तो उसका पैकेज भी बहुत सस्ता होगा. लेकिन हिंदुस्तान में सरकार के जरिये मुसलमान बहुत महंगी हज करता है और सब्सिडी के एहसान के नीचे दबा रहता है.
आइए इसके गणित को आसान तरीके से समझते हैं. मिसाल के लिए इस बार 1,75,000 हाजी एयर इंडिया से हज पर जाएंगे. हज के फॉर्म की कीमत है 300 रुपये, जो वापस नहीं होते. इस बार 3,55,000 लोगों ने फॉर्म भरे. इससे सरकार को 10 करोड़ 65 लाख रुपये की आमदनी हुई. फर्स्ट क्लास हाजी से सरकार 2,41,000 रुपये लेती है और सेकेंड क्लास हाजी से 2,11,000 रुपये. करीब 70 फीसदी लोग सेकेंड क्लास सहूलियत लेते हैं, जबकि करीब 30 फीसदी फर्स्ट क्लास सहूलियत. इस तरह इस साल करीब 52,500 फर्स्ट क्लास में जाएंगे. वे सरकार को 1265 करोड़ 25 लाख फीस देंगे और करीब 1,22,500 सेकेंड क्लास में जाएंगे, जो 2584 करोड़ 75 लाख फीस सरकार को देंगे. इस तरह सारे हाजी 3850 करोड़ रुपये सरकार को देंगे. ये 3850 करोड़ रुपये सरकार हाजियों से 8 महीने पहले ले लेती है. इस रकम पर 7 फीसदी की दर से सरकार को 180 करोड़ रुपये ब्याज मिलेगा. फिर भी मुसलमान सब्सिडी के बोझ तले दबा हुआ था.
सरकारें जनता का वोट हासिल करने के लिए उन्हें धार्मिक यात्राओं में सब्सिडी की लॉलीपॉप देती हैं. हज सब्सिडी का खेल खत्म हो गया है. अब दूसरी धार्मिक यात्राओं की सब्सिडी भी बंद होनी चाहिए. कैलाश मानसरोवर के यात्रियों को यूपी सरकार पहले 25,000 सब्सिडी देती थी, जिसे अखिलेश यादव ने दोगुना कर 50,000 कर दिया था. योगी आदित्यनाथ ने इसे भी दोगुना कर 1 लाख कर दिया है. उत्तराखंड सरकार भी कैलाश मानसरोवर यात्रा पर 30,000 प्रति यात्री सब्सिडी दे रही है. यूपी में अखिलेश यादव की सरकार ने समाजवादी श्रवण यात्रा के नाम से बुजुर्गों के लिए मुफ्त तीर्थयात्रा शुरू की थी. योगी ने तो सरकारी पैसे से अयोध्या में आलीशान दिवाली भी मनाई. उन्होंने सरकारी हेलिकॉप्टर से दिल्ली के कुछ मॉडल को राम, लक्ष्मण और सीता बनाकर वहां उतारा और कहा कि रावण का वध करने के बाद भगवान राम पुष्पक विमान से अयोध्या लौटे हैं.
एक धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक देश में सरकार का यह काम नहीं है. वरना दूसरे धर्म के लोग सरकार से बकरीद पर कुर्बानी करने और किसी अन्य त्योहार पर कुछ और धार्मिक कर्मकांड करने को कह सकते हैं. अब वक्त आ गया है, जब यह सब कुछ बंद होना चाहिए.
Harminder Singh Kitty
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