Saturday, January 6, 2018

मोटिवेशनल स्पीकर, कॉरपोरेट ट्रेनर एवं लेखक डॉ.विवेक बिंद्रा के खिलाफ, एफआईआर दर्ज वीडियो में उन्होंने डॉक्टरों को सफेद कोट के खूनी लुटेरे कहा है।

मोटिवेशनल स्पीकर, कॉरपोरेट ट्रेनर एवं लेखक डॉ.विवेक बिंद्रा के खिलाफ जयपुर में जयपुर मेडिकल एसोसिएशन के उपाध्यक्ष डॉ. संजीव गुप्ता ने एफआईआर दर्ज कराई है। एफआईआर में डॉ. गुप्ता ने शिकायत की है कि उन्होनें डॉ. विवेक बिंद्रा का सोशल साइट पर एक वीडियो देखा था जिसमें डॉ. बिंद्रा ने देश के सभी डॉक्टर्स को खूनी, लुटेरा जैसे आपत्तिजनक शब्द कहे हैं उन्होंने एफआईआर में बताया कि डॉ. बिंद्रा के वायरल हुए वीडियो में उन्होंने डॉक्टरों को सफेद कोट के खूनी लुटेरे कहा है।




डॉ.गुप्ता ने आज जयपुर के बापू नगर थाने में डॉ. बिंद्रा के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराते हुए कहा कि बिंद्रा ने इस तरह की अपमानजनक बातें अपने वीडियो में कहते हुए डॉक्टरों की पूरी कौम को बदनाम करने की कोशिश की है।डॉ. संजीव गुप्ता ने मोटिवेशनल स्पीकर डॉ. विवेक बिंद्रा के नाम के आगे डॉक्टर लगाए जाने पर भी सवाल उठाए हैं। उन्होंने दावा किया कि विवेक बिंद्रा अपने आगे डॉक्टर लिखते हैं, जबकि वो तो उनके पास कोई एमबीबीएस की डिग्री है और ही उन्होंने किसी विषय पर पीएचडी की है। वो अपने आगे डॉक्टर शब्द का फर्जी तरीके से उपयोग करके देश की आम जनता को बेवकूफ बनाकर लूट रहे हैं, जिसकी जांच होनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि विवेक बिंद्रा ने समाज में जहर घोल कर शांत वातावरण को खत्म कर अशांति फैलाने समाज को भड़काने की कोशिश की है। डॉ. गुप्ता ने पुलिस को बिंद्रा की हेट स्पीच वाली सीडी सौंपते हुए उन पर आईटी एक्ट के तहत धारा 66A, 66B, 66C, 66D, 66E आईपीसी की धारा 420, 467, 468, 500 अन्य के तहत आपराधिक एफआईआर दर्ज कराई है।




EDITOR
KOMALPREET KAUR
THE PUNJAB NEWS

Friday, January 5, 2018

Ms. Bhumika of CMC Ludhiana gets 1st position in the final MBBS exam of Baba Farid University of Health Sciences (BFUHS

Students of CMC Ludhiana have performed extremely well at the examinations of final professional MBBS, the results of which were declared by Baba Farid University of Health Sciences recently.  Bhumika obtained the first position in the University scoring a total of 682 marks

BHUMIKA

 while Madhurima Barik and Kripa Anna Varghese bagged fourth and fifth position by scoring 641 and 638 marks respectively. In addition, Madhurima obtained a distinction in Obstetrics and Gynaecology.


MADHURIMA

 Bhumika has done her schooling from Chandigarh and attributes her success to group study and discussion undertaken on a regular basis. She also feels that correlating the theoretical knowledge with what is seen in the clinical side helped to understand the diseases better. Madhurima has done her schooling from Balangir, Odisha. She has been a regular in studies and feels that practicals helped her to cover the syllabus meaningfully.

 

KRIPA  ANNA

. Kripa, who is from Thiruvala, Kerala feels that though she learnt from the books, the knowledge acquired during clinical postings helped her in better understanding. Bhumika aspires for a career in medicine; Madhurima wants Pediatrics while Kripa is aiming to become an ObstetricianDr. Tejinder Singh, Principal of the College and Dr. Abraham G Thomas, Director along with all faculty congratulated all the students for their devoted commitment to studie

 
THE PUNJABNEWS

Wednesday, January 3, 2018

हो सकता है आपको भी आया हो हार्ट अटैक!


दिल के दौरे का सबसे बड़ा लक्षण माना जाता है- सीने में तेज़ दर्द. अक्सर किसी फ़िल्मी दृश्य में जब कभी किसी को दिल का दौरा पड़ता है तो वो अपना सीना ज़ोर से जकड़ लेता है, दर्द के मारे उनकी आँखों में घबराहट दिखने लगती है और वो ज़मीन पर गिर पड़ते हैं. हम सभी को लगता है कि दिल का दौरा पड़ने पर ऐसा ही एहसास होगा जैसे हमारे सीने को कुचला जा रहा है. ऐसी अनुभूति होती भी है, लेकिन हमेशा नहीं.


जब दिल तक खून की आपूर्ति नहीं हो पाती तो दिल का दौरा पड़ता है. आमतौर पर खून के किसी थक्के के बीच में आने की वजह से खून दिल तक नहीं पहुँच पाता, इसीलिए सीने में तेज़ दर्द होता है. लेकिन कभी-कभी दिल के दौरे में दर्द नहीं होता.

ई बार बहुत हल्का दर्द होता है और लोगों को लगता है कि अपच के कारण गैस की वजह से ये दर्द हो रहा है और फिर जब कभी अस्पताल में ईसीजी होता है तब पता चलता है कि उन्हें दिल का दौरा पड़ा था. इसे साइलेंट हार्ट अटैक कहा जाता है. 2016 में प्रकाशित एक शोध अध्ययन के मुताबिक दिल के दौरे के 45% मामले साइलेंट हार्ट अटैक के हो सकते हैं.कई बार मरीज़ को जबड़े, गर्दन, बाँह, पेट या पीठ में दर्द होता है, सांस लेने में तकलीफ़ होती है, कमज़ोरी महसूस होती है, चक्कर आते हैं, पसीना आता है, उल्टियाँ आती हैं- लेकिन सीने में भयंकर दर्द नहीं होता और वे समझ नहीं पाते कि दरअसल उन्हें दिल की बीमारी है.दिल का दौरा पड़ने पर महिलाओं में सीने के दर्द की शिकायत पुरुषों के मुक़ाबले कम होती है, लेकिन थकान, मतली, चक्कर, गर्दन, जबड़े या बांह में दर्द की शिकायत पुरूषों के मुक़ाबले ज़्यादा होती है. लेकिन यह भी पाया गया कि अधिकांश मामलों में महिलाएं और पुरुष दोनों ही को सीने में दर्द की शिकायत होती है, लेकिन करीब 33% महिलाओं और लगभग 25% पुरुषों को दिल के दौरे के वक़्त सीने में किसी दर्द या जलन या बेचैनी का एहसास नहीं हुआ और इस वजह से उन्हें यह समझने में भी मुश्किल हुई कि आखिर उनके साथ हो क्या रहा है. सीधी-सी बात है जब आप लक्षणों की गंभीरता को समझेंगे ही नहीं तो आप मदद भी नहीं मांगेंगे. औसतन लोग डॉक्टरी मदद लेने से पहले 2 से 5 घंटे इंतज़ार करते हैं.सीने में भयंकर दर्द तो खतरनाक है ही और इसकी वजह दिल का दौरा हो सकता है, लेकिन इतने ही ख़तरनाक बाकी लक्षण भी हैं जैसे जबड़े, बांह या गर्दन में दर्द, जी मितलाना या चक्कर आना . इसलिए इन लक्षणों को भी नज़रअंदाज़ न करें और तुरंत डॉक्टर की मदद लें.

                                                                     Dr. R.P. Singh Managing Director Chief Interventional Cardiologist Pancham Hospital, Ludhiana.More Than 20 Years of Experience with SuccessfullyPerformed25000Peripheral/CoronaryAngiographies,6000 Peripheral/Coronary Angioplasties

               p
PANCHAM HOSPITAL OPP MODEL TOWN EXT ,JAWADDI BRIDGE LUDHIANA
24 HOUR EMERGENCY 8725008725

एक लाख डॉक्टरों के भरोसे देश की 90 करोड़ आबादी: आईएमए


आईएमए के मानद अध्यक्ष डॉके.केअग्रवाल
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमएने हाल के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि 1.3 अरब लोगों की आबादी का इलाज करने के लिए भारत में लगभग 10 लाख एलोपैथिक डॉक्टर हैं. इनमें से केवल 1.1 लाख डॉक्टर सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्र में काम करते हैं. इसलिए ग्रामीण क्षेत्रों में करीब 90 करोड़ आबादी स्वास्थ्य देखभाल के लिए इन थोड़े से डॉक्टरों पर ही निर्भर है. आईएमए के मुताबिक, डॉक्टरों मरीजों का अनुपात बिगड़ा हुआ होने की वजह से अस्पतालों में एक बेड पर दो मरीजों तक को रखना पड़ जाता है और चिकित्सक काम के बोझ तले दबे रहते हैं

भारत में तो पर्याप्त अस्पताल हैं, डॉक्टर, नर्स और ही सार्वजनिक स्वास्थ्य कर्मचारी. स्वास्थ्य देखभाल की क्वालिटी और उपलब्धता में बड़ा अंतर है. यह अंतर केवल राज्यों के बीच नहीं है, बल्कि शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में भी है. इसी स्थिति के कारण नीम-हकीम खुद को डॉक्टर की तरह पेश कर मौके का फायदा उठा रहे हैं. डॉक्टरों की अनुपस्थिति में लोगों के पास इलाज के लिए ऐसे फर्जी डॉक्टरों के पास जाने के अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं है.

आईएमए के मानद अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल ने कहा, "हाल ही में उत्तर प्रदेश में बच्चों की मौतों का मामला प्रकाश में आया था. इस मामले से स्वास्थ्य सेवा के समक्ष मौजूद दो बड़ी चुनौतियां उजागर हुईं- एक तो चिकित्सक और रोगियों का बिगड़ा हुआ अनुपात और दूसरी, अयोग्य पेशेवरों का डॉक्टरों के भेस में काम करना."

उन्होंने कहा, "यह एक दुखद तथ्य है कि ग्रामीण इलाकों में बीमार व्यक्ति को चिकित्सकों की जगह पहले तथाकथित धर्म चिकित्सकों के पास ले जाया जाता है. वे चिकित्सक की भांति इलाज करने का ढांेग करते हैं. वहां से निराशा मिलती है तभी लोग अस्पताल की ओर रुख करते हैं."

डॉ. अग्रवाल कहते हैं कि कुछ नीम-हकीम तो महज 12वीं तक ही पढ़े होते हैं. इनके पास किसी मेडिकल कॉलेज की कोई योग्यता नहीं होती. चिंता की दूसरी बात यह है कि देश में पर्याप्त प्रशिक्षित डॉक्टर नहीं हैं. कई डॉक्टर सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली में जाना ही नहीं चाहते. नतीजा यह कि वार्ड ब्वाय तक ग्रामीण इलाकों में खुद को डॉक्टर बताने लगते हैं."

सर्वेक्षणों के अनुसार, ग्रामीण इलाकों में प्रति 5 डॉक्टरों में केवल एक चिकित्सक ठीक से प्रशिक्षित और मान्यता प्राप्त है. आईएमए ने नीम हकीमों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया हुआ है. इसी साल जून में दिल्ली चलो आंदोलन किया गया था, जिसमें इस मुद्दे को जोरदार तरीके से उठाया गया था


Harminder Singh Kitty
9814060516
thepunjabnews@gmail.com
https://www.facebook.com/thepunjabnews/posts/1656231844419686

सीएमसी डॉक्टर ने 1 दिन की बच्ची को बचाया और साबित किया कि "डॉक्टर भगवान का रूप होते हैं"

                       लुधियाना (द पंजाब न्यूज एचएस किट्टी)   25 फरवरी 2023 को अस्पताल के बाहर एलएससीएस द्वारा कुछ घंटे की नवजात बच्ची का...