Saturday, January 13, 2018

बार काउंसिल की 7 सदस्यीय टीम आज शाम 7.30 बजे मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा से मिलेगी

क्रवार को हुई चार जजों की प्रेस कांन्फ्रेंस के बाद बार काउंसिल ने इस मामले में जजों से मिलने का

 फैसला किया है

. टीम में जस्टिस दीपक मिश्रा के अलावा अन्य जजों से मिलकर उनकी राय जानेगी ताकि मतभेदों को 

जल्दी सुलझाया जा सके

सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट में चल जजों के बीच चल रहे मतभेद को सुलझाने की कोशिश कर रहे बार काउंसिल की सात सदस्यीय टीम मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा से आज शाम 7.30 बजे मिलेगी. शुक्रवार को हुई चार जजों की प्रेस कांन्फ्रेंस के बाद बार काउंसिल ने इस मामले में जजों से मिलने का फैसला किया है. टीम में जस्टिस दीपक मिश्रा के अलावा अन्य जजों से मिलकर उनकी राय जानेगी ताकि मतभेदों को जल्दी सुलझाया जा सके. बार काउंसिल के सूत्रों ने कहा कि जजों को फुल कोर्ट मीटिंग बुलानी चाहिए और अगर मुख् न्यायाधीश उनकी चिंताओं को दूर करने में सक्षम नहीं हैं तो उन्हें राष्ट्रपति से संपर्क करना चाहिए       

                                  10 बड़ी बातें
 1 बार काउंसिल की 7 सदस्यीय टीम आज शाम 7.30 बजे मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा से मिलकर जजों के बीच मतभेदों को सुलझाने की कोशिश करेगी. सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन  के चेयरमैन मनन कुमार मिश्रा ने  कहा, 'हम नहीं चाहते कि ऐसे मामले सार्वजनिक रूप से हल किए जाएं, इसे आतंरिक रूप से ही हल कर लिया जाना चाहिए. कैमरे के सामने जाने से हमारा सिस्‍टम कमजोर ही होगा.'

 2 एससीबीए के प्रस्ताव में कहा गया है कि 15 जनवरी को शीर्ष अदालत में सुनवाई के लिये सूचीबद्ध मामलों को भी अन्य न्यायाधीशों के पास से कॉलेजियम में शामिल पांच सर्वाधिक वरिष्ठ न्यायाधीशों के पास भेज दिया जाना चाहिये.

 3 सीबीए अध्यक्ष एवं वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने कहा कि पूर्ण अदालत के विचार करने का प्रस्ताव पारित किया गया क्योंकि यह एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें शीर्ष अदालत के सभी न्यायाधीशों के बीच अंदरूनी चर्चा होती है और खुले में चर्चा नहीं होती है.

 प्रस्ताव पढ़ते हुए सिंह ने कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय के चार वरिष्ठ न्यायाधीशों ने संवाददाता सम्मेलन में जो मतभेद बताए और अन्य मतभेद जो समाचार पत्रों में दिखे हैं वे गंभीर चिंता का विषय हैं और उसपर उच्चतम न्यायालय की पूर्ण अदालत को तत्काल विचार करना चाहिये.’’

 प्रस्ताव में कहा गया है, ‘‘सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की कार्यकारिणी ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया कि लंबित मामलों समेत सभी जनहित याचिकाओं पर या तो प्रधान न्यायाधीश को विचार करना चाहिये या उन्हें किसी अन्य पीठ को सौंपना है तो उसे कॉलेजियम में शामिल न्यायाधीशों को सौंपना चाहिये
6 प्रधान न्यायाधीश  दीपक मिश्रा के खिलाफ एक तरह से बगावत करने वाले उच्चतम न्यायालय के चार न्यायाधीशों में से एक न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ ने आज कहा कि मुद्दे के हल के लिए किसी बाहरी हस्तक्षेप की कोई जरूरत नहीं है. वहीं, सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) ने कहा कि मामले पर पूर्ण अदालत को विचार करना चाहिये.
 7 न्यायमूर्ति जोसेफ ने कहा, ‘‘एक मुद्दा उठाया गया. जो इसे लेकर चिंतित थे, उन्होंने उसे सुना. इसलिए (मेरा) मानना यह है कि मुद्दे का हल हो गया है.’’ मामले के हल के लिए बाहरी हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है क्योंकि यह मामला हमारे संस्थान के भीतर उठा है. इसे दुरुस्त करने के लिए संस्थान को ही जरूरी कदम उठाने होंगे.’’
8 वकीलों के सर्वोच्च निकाय बार काउन्सिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) ने शीर्ष अदालत के मौजूदा संकट पर चर्चा करने के लिये उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों से मुलाकात करने के लिये सात सदस्यीय दल का गठन किया है.
9 चार न्यायाधीशों में शामिल न्यायमूर्ति रंजन गोगोई ने संकट के हल के लिए आगे की दिशा के बारे में पूछे जाने पर कोलकाता में कहा, ‘‘कोई संकट नहीं है.’’ न्यायमूर्ति जोसेफ ने कहा कि मामला राष्ट्रपति के संज्ञान में नहीं लाया गया है क्योंकि उच्चतम न्यायालय या उसके न्यायाधीशों को लेकर उनकी कोई संवैधानिक जिम्मेदारी नहीं है.
 10 चारों न्यायाधीशों के संवाददाता सम्मेलन करने के एक दिन बाद यानी शनिवार को प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्रा प्रधान न्यायाधीश के घर पहुंचे लेकिन वहां दरवाजे नहीं खुले और थोड़ी देर इंतजार करने के बाद मिश्रा वापस लौट गए.
Harminder Singh Kitty
THE PUNJAB NEWS
email thepunjabnews@gmail.com
www.thepunjabnews.com
https://www.facebook.com/thepunjabnews/
https://www.youtube.com/user/thepunjabnews
https://www.facebook.com/punjabnewsofficial/

Friday, January 12, 2018

मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा पर सवाल उठाने वाले ये 4 जज कई अहम फैसलों में रहे हैं शामिल

देश के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि जजों ने इस तरह से मीडिया में आकर बयान दिया है. आम तौर न्यायाधीश रिटायर होने के बाद भी इस तरह के सार्वजनिक बयानों से बचते रहे हैं. इन चारों जजों में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के बाद वरिष्ठतम न्यायाधीश जस्टिस जे. चेलामेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ शामिल हैं
नई दिल्लीशुक्रवार को एक अनोखे घटनाक्रम में  सुप्रीम कोर्ट  के चार जजों ने प्रेस कांन्फ्रेंस कर आरोप लगाया कि सुप्रीम कोर्ट में सब कुछ ठीक नहीं है. उन्होंने यह भी अगाह किया कि अगर जल्द ही इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो लोकतंत्र खतरे में पड़ जाएगा. देश के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि जजों ने इस तरह से मीडिया में आकर बयान दिया है. आम तौर न्यायाधीश रिटायर होने के बाद भी इस तरह के सार्वजनिक बयानों से बचते रहे हैं. इन चारों जजों में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के बाद वरिष्ठतम न्यायाधीश जस्टिस जे. चेलामेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ शामिल हैं. इनका कहना था कि ये मीडिया ब्रीफिंग मजबूर होकर कर रहे हैं. यह प्रेस कॉन्फ्रेंस इसलिए की, ताकि कोई यह कह सके कि आत्मा को बेच दिया है. 
इन चारों चारों जजों के बारे में जानकारी
जस्टिस चेलेमेश्वर (64)
1- मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा के बाद सुप्रीम कोर्ट में सबसे वरिष्ठ जस्टिस हैं. 10 अक्टूबर 2011 से सुप्रीम कोर्ट में हैं. इसी साल जून में रिटायर हो जाएंगे.
2- सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति के लिए कोलेजियम सिस्टम के विरोध में हैं.
3- जस्टिस चेलेमेश्वर राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC) के पक्ष में थे. 2015 में इस आयोग को अंसवैधानिक बताने वाली बेंच में शामिल थे और इस फैसले पर असहमति जताई थी.
4-  निजता को मौलिक अधिकार बताने वाली बेंच में भी शामिल थे.

जस्टिस रंजन गगोई (63)
1- जस्टिस रंजन गगोई देश के अगले मुख्य न्यायाधीश होंगे. वह उत्तर-पूर्व से आने वाले पहले मुख्य न्यायाधीश होंगे. उनके पिता केसी गगोई असम के मुख्मंत्री रह चुके हैं.
2- जस्टिस उस पीठ मेंक्षा और चल रहे केसों को बारे में जानकारी देनी होगी.ऑ
3- 7 जजों की उस बेंच में शामिल थे जिसने पिछले साल ही  शामिल थे जिसने फैसला दिया था कि संसदीय और विधानसभा चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों को संपत्ति, शिहाईकोर्ट के जज जस्टिस सीएम कर्णन को अवमानना के मामले में 6 महीने कैद की सजा सुनाई थी.
4- उस बेंच में शामिल थे जिसने जाटों को ओबीसी कोटा देने से रोक लगा दी थी.
जस्टिस कुरियन जोसेफ (64)
साल 2013 में सुप्रीम कोर्ट में जज बने. इस साल नवंबर में रिटायर हो जाएंगे. उस बेंच में शामिल थे जिसने फैसला दिया था कि ट्रिपल तलाक असंवैधानिक है. 
उस बेंच में भी शामिल थे जिसने जजों की नियुक्ति के लिए बनाए गए राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग को असंवैधानिक ठहराया था.

Harminder Singh Kitty
THE PUNJAB NEWS
www.thepunjabnews.com
www.thepunjabnews.in
https://www.facebook.com/thepunjabnews/
https://www.facebook.com/punjabnewsofficial/
thepunjabnews@gmail.com

सीएमसी डॉक्टर ने 1 दिन की बच्ची को बचाया और साबित किया कि "डॉक्टर भगवान का रूप होते हैं"

                       लुधियाना (द पंजाब न्यूज एचएस किट्टी)   25 फरवरी 2023 को अस्पताल के बाहर एलएससीएस द्वारा कुछ घंटे की नवजात बच्ची का...