Tuesday, February 6, 2018

हिमाचल मेडिकल आफिसर्ज एसोसिएशन जिला मंडी के सभी चिकित्सकों ने कैंडल मार्च कर नेशनल मेडिकल कमीशन बिल का जोरदार विरोध किया

। संघ के अध्यक्ष डा. जितेंद्र रूड़की का कहना है कि सरकार द्वारा एनएमसी बिल के द्वारा एमसीआई (मेडिकल काउसिंल आफ इंडिया) को विघटन करना चाहते है। उन्होंंने बताया कि एमसीआई एक स्वतंत्र व नियमितीकरण करने वाले संस्था है। जिसका काम मेडिकल कालेजों का निरीक्षण है ताकि मेडिकल कालेज के प्रशिक्षु चिकित्सकों को गुणवतापूर्वक शिक्षा मिल सके। उन्होंने बताया कि चिकित्सकों को एमसीआई के रजिस्टर में पंजीकृत करना, एमसीआई में हर प्रदेश से कुछ एमबीबीएस चिकित्सक चुनकर जाते है और कुछ प्रदेश सरकार और मेडिकल विवि से भी मनोनीत होकर जाते है। वर्तमान में इसमें 105 के करीब एमबीबीएस सदस्य है। उन्होंने कहा कि नए कानून के तहत सरकार जन तंत्र को खत्म करके मनोनीत तंत्र को लागु करना चाहती है। जिससे मेडिकल सिस्टम का ढ़ाचा पूरी तरह से तबाह हो जाएगा। उन्होंने बताया कि वर्तमान के दौर में 90 के करीब सांसद किसी न किसी तरह से मेडिकल कालेजों से जुड़े हुए है। यदि यह बिल पास हो गया तो इन सांसदों का प्रत्यक्ष तौर से नियंत्रण हो जाएगा। जोकि मेडिकल लाईन समेत देशभर के घातक सिद्ध होगा।  उन्होंने बताया कि इसी बिल के तहत सरकार यूनानी, होम्योपैथी, आयुष के चिकित्सकों को कुछ महीने का अंग्रेजी दवाओं का कोर्स करवाकर अंग्रेजी दवाएं लिखने के लिए अधिकृत कर रही है। एनईईटी के द्वारा एमबीबीएस में प्रवेश पाना अत्यंत कठिन है और फिर उसमें एमडी करना अत्यंत और भी कठिन है। ऐसे में एक आम आदमी चिकित्सक को भगवान मानता है और उसको तो यह भी मालूम नहीं है कि चिकित्सक किस प्रद्धति का है और किस प्रकार की दवा लिखेगा वह तो सब समय भ्रम की स्थिति में ही रहेगा कि वह युनानी, होम्योपैथी व आर्युवैद दवा का सेवन कर रहा है। लेकिन वह अंग्रेजी ही  दवा का सेवन कर रहा होगा। जिससे देश की आम जनता में असमंजस की स्थिति पैदा हो जाएगी। इस अवसर पर डा. लाल सिंह, डा. विश्वजीत, डा. अनिल समेत सदस्य मौजूद रहे।   

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